Dear Amit Sagar, Why Don’t You Understand? ई-मेल

फ़कत इक मौज के प्यासे Amit K. Sagar भाई साहब,
आप ऐसा क्यों कर रहे हो?
और इतने लोगों मे से कोई कुछ नही कह रहा।
इतने सारे ई मेल पते अपने ब्लॉग http://hindi.rcmishra.net पर छापना अच्छी बात नही है। फ़िर भी 2-3 घंटे तो ये पोस्ट ऐसे ही रहने वाली है।
वैसे भी किसी को क्या फ़रक पड़ता है।

Update 1: पब्लिक ओपिनियन को देखते हुए सारे ई मेल पते समय से पहले हटाये जा रहे हैं।

धन्यवाद।

Update 2:

From: Amit K. Sagar [mailto:ocean4love@gmail.com]
Sent: 01 August 2008 11:56
To: mahen; mishra; aroonarora
Subject: Re: Dear Amit Sagar, Why Don’t You Understand?

नमस्कार,
आपका संदेसा प्राप्त हुआ.
अतः हम कहना चाहेंगे कि भविष्य में आप लोगों को मेरी तरफ़ से व् “उल्टा तीर” की तरफ़ से किसी भी तरह की गतिविधि की बाबत कोई भी कभी भी मेल नहीं किया जायेगा. आज तक लिए क्षमा चाहते हैं.
—शुर्किया—



From: Amit K. Sagar [mailto:ocean4love@gmail.com]
Sent: 01 August 2008 10:20
To: s
Subject: जल्द आ रही है

जल्द आ रही है

जल्द आ रही है “उल्टा तीर” की ओर से “जश्ने-आज़ादी-०८” की पत्रिका; दिल खोलकर शिरकत कीजिये…आप अपने विचार ३ अगस्त की दोपहर (१२ बजे तक) हमें मेल कर सकते हैं.

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amit k. sagar
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With; Thanks & regards
उल्टा तीर (तीर वही जो घायल कर दे…)

“सामाजिक बहस वक़त की ज़रूरत है।सार्थकता के लिए ज़रूरी है; लोगों की जादा सहभागिता हो।ताकि हम बिन्दु के हर पहलु पर विचार-विमर्श करे सकें।कोई भी पक्ष, कोई भी अपनी बात कहने से महरूम न रहें। सके इक नया निर्माण, बेहतर समाज।(अगर समाज में बुराइयां पल रही हैं तो हमारी नैतिक जिम्मेदारी बनती है, बुराइयों के कारणों को जान सकें, हल तलाश तलाशें…बेहतर समाज का निर्माण करने में अपना योगदान देन…” AKSagar

“कविता आंदोलन की प्रेरणा बन सकती है।पर्चा क्रांति के लिए चिनगारी बन सकता है। असहयोग लोगों को जगा सकता है, हमें सोचने के लिए उकसा सकता है।जब हम एक-दूसरे के साथ संगठित हो जाते हैं, साथ बोलने के लिए तैयार हो जाते हैं, तब हम ऐसी ताकत पैदा कर सकते हैं जिसे कोई सरकार दबा नहीं सकती।”

AMIT K. SAGAR
+91 97180 08643
फ़कत इक़ मौज का प्यासा ~! ~सागर~! ~

13 Comments

  1. रचना August 1, 2008 Reply
  2. Amit K. Sagar August 1, 2008 Reply
  3. Gyandutt Pandey August 1, 2008 Reply
  4. Amit K. Sagar August 1, 2008 Reply
  5. mahashakti August 1, 2008 Reply
  6. Amit K. Sagar August 1, 2008 Reply
  7. masijeevi August 1, 2008 Reply
  8. कुश एक खूबसूरत ख्याल August 1, 2008 Reply
  9. Amit K. Sagar August 1, 2008 Reply
  10. RC Mishra August 1, 2008 Reply
  11. Raviratlami August 1, 2008 Reply
  12. Rachna Singh August 1, 2008 Reply
  13. RC Mishra August 1, 2008 Reply

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