गीता । Gita – भगवद्गीता । Bhagvadgita – अध्याय ३: श्लोक २०-२१

Chapter 3: Verse 20-21

Subject: People’s Welfare

विषय: जन कल्याण

कर्मणैव हि संसिद्धिमास्थिता जनकादयः।
लोकसंग्रहमेवापि संपश्यन्कर्तुमर्हसि॥३-२०॥

 
King Janaka and many others (who were not expected to work performed action for the welfare of the people) attained Perfection by performing action. Therefore, for the sake of people?s welfare you too should perform your duty.


Lesson: Perform your duty to guide people and for the larger welfare of the society.

जनकादि ज्ञानीजन भी आसक्ति रहित कर्मद्वारा ही परम सिद्धि को प्राप्त हुए थे, इसलिए तथा लोकसंग्रह को देखते हुए भी तू कर्म करने के ही योग्य है अर्थात तुझे कर्म करना ही उचित है। ॥२०॥

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Subject: Role Models

विषय: आदर्श पुरुष

यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जनः।
स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते॥३-२१॥

 
What ever a noble person does, others also follow (also behave like that). What ever standards he (the noble person) establishes, the society follows.
Lesson: The society follows its role models.

श्रेष्ठ पुरुष जो-जो आचरण करता है, अन्य पुरुष भी वैसा-वैसा ही आचरण करते हैं। वह जो कुछ प्रमाण कर देता है, समस्त मनुष्य-समुदाय उसी के अनुसार बरतने लग जाता है (यहां क्रिया में एकवचन है, परन्तु ‘लोक शब्द समुदायवाचक होने से भाषा में बहुवचन की क्रिया लिखी गई है।) ॥२१॥

 

गीता । Gita – भगवद्गीता । Bhagvadgita – श्रीमद्भगवद्गीता । Srimadbhagvadgita: अध्याय ३: श्लोक २०-२१

One Comment

  1. Udan Tashtari August 13, 2007 Reply

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