संस्कृत विरोधी भाषण पर…

संपूर्णानंद विवि में राज्यपाल के अंग्रेजी प्रेम पर भड़के छात्र।

संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय का २७ वाँ दीक्षांत समारोह।

राज्यपाल के कथन “चांद पर जाना है तो अंग्रेजी पढ़ें, संस्कृत तो बैलगाड़ी के जमाने की भाषा है। इससे जीवन में तरक्की नहीं पायी जा सकती है

 पर छात्र भड़क उठे। नारेबाजी शुरू हुई तो आनन-फानन में महामहिम को पंडाल से निकाला जाने लगा। इस पर उत्तेजित लोगों उनकी तरफ न केवल जूते-चप्पल बल्कि कुर्सियां भी फेंकी, कार पर पथराव किया। इतना ही नहीं बयान के विरोध में छात्रों ने डिग्रियां फाड़ना शुरू कर दिया और वहां रखे गमलों को तोड़ना शुरू कर दिया। क्रोधित छात्रों को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा। राज्यपाल के जाने के बाद छात्रों ने कुलपति आवास को निशाना बनाया। पथराव के साथ ही अंदर घुसकर तोड़फोड़ भी की। राज्यपाल का पुतला भी फूंका गया।

बवाल उस समय शुरू हुआ जब कुलाधिपति ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में पहले से अंग्रेजी में तैयार नोट्स पढ़ने के बजाय हिन्दी में बोलना शुरू किया। उन्होंने कहा,जमाना बदल रहा है।

केवल संस्कृत में परास्नातक (पोस्ट ग्रेजुएट) आदि की डिग्री लेने से ही काम नहीं चलेगा। संस्कृत पढ़कर सिर्फ टीचर व पंडित तो बना जा सकता है लेकिन आईएएस बनने तथा दिल्ली व विलायत जाने के सपने को साकार नहीं किया जा सकता। इस डिग्री से छात्रों का भला होने वाला नहीं है। संस्कृत एक विषय (सब्जेक्ट) जरूर हो सकता है लेकिन दो से तीन लाख रुपये माह कमाने का यह जरिया नहीं हो सकता। राजेस्वर ने सवाल उठाया कि आखिर इस डिग्री से क्या फायदा हो सकता है?

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इसके लिए छात्र अपनी सोच बदलें और अंग्रेजी अनिवार्य रूप से पढ़ें। कुलाधिपति ने कहा,संस्कृत विश्वविद्यालय में भी अंग्रेजी की अनिवार्य रूप से पढ़ाई हो, इसके लिए विश्वविद्यालय अधिनियम में संशोधन किया जायेगा। सिर्फ संस्कृत भाषा के लिए विश्वविद्यालय की स्थापना का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने कहा, जिस तरह से यूरोप में लैटिन व ग्रीक अब अनिवार्य नहीं है उसी तरह संस्कृत एक विषय तो हो सकती है लेकिन पूरी डिग्री नहीं बन सकती।

 

तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, तमिल की तरह संस्कृत भी परंपरागत भाषा है।

 कुलाधिपति का भाषण खत्म होते ही पूरे पंडाल में आक्रोश का ज्वार उबल पड़ा और नारेबाजी शुरू हो गयी। इससे परंपरागत शिष्ट यात्रा की वापसी भी नहीं हो सकी। भारी सुरक्षा के बीच राज्यपाल को समारोह स्थल से बाहर निकालते वक्त उनकी ओर न केवल जूता-चप्पल अपितु कुर्सियां उछाली जाने लगीं। हालांकि कुलाधिपति बाल-बाल बच गये लेकिन उनकी कार पर भी पथराव हुआ।

बाद में पुलिस ने छात्रों को दूर तक खदेड़ा और लाठियाया। इस बीच आक्रोश से भरे छात्रों ने अपना गोल्ड मेडल व उपाधियां हवा में उछालीं तो कुछ ने उपाधियां फाड़कर फेंक दी। इतना ही नहीं मंच पर लगा माइक तथा वहां रखे गमले तोड़ने तथा मोटरसाइकिलें क्षतिग्रस्त करने के साथ ही परिसर के पूर्वी गेट पर कुलाधिपति का प्रतीक पुतला भी फूंका गया।

दैनिक जागरण इलाहाबाद संस्करण से।

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12 Comments

  1. Atul Arora February 10, 2007 Reply
  2. mahashakti February 10, 2007 Reply
  3. अफ़लातून February 10, 2007 Reply
  4. आशीष February 10, 2007 Reply
  5. प्रभाकर पाण्डेय February 10, 2007 Reply
  6. अमित February 11, 2007 Reply
  7. उन्मुक्त February 11, 2007 Reply
  8. संजय बेंगाणी February 11, 2007 Reply
  9. Shrish February 11, 2007 Reply
  10. Anonymous February 11, 2007 Reply
  11. अनुनाद सिंह February 12, 2007 Reply
  12. अनुनाद सिंह February 12, 2007 Reply

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