बर्फ़ गिरी हो वादी मे, और हँसी तेरी गूँजे।
ऊन मे लिपटी सिमटी हुई, बात करे धुआं निकले
गरम गरम उजला धुआं, नरम नरम उजला धुआं॥
ये वादियाँ ये फ़िज़ायें बुला रही हैं तुम्हे…
हुश्न पहाड़ों का..ओ साहिबा
क्या कहना के बारहों महीने,
यहाँ मौसम जाड़ों का
हिन्दी ब्लॉग – by RC Mishra
बर्फ़ गिरी हो वादी मे, और हँसी तेरी गूँजे।
ऊन मे लिपटी सिमटी हुई, बात करे धुआं निकले
गरम गरम उजला धुआं, नरम नरम उजला धुआं॥
ये वादियाँ ये फ़िज़ायें बुला रही हैं तुम्हे…
हुश्न पहाड़ों का..ओ साहिबा
क्या कहना के बारहों महीने,
यहाँ मौसम जाड़ों का
बर्फ़ देखने में अच्छी लग रही है – पर उसकी सर्दी झेलनी हो तब शायद कष्ट हो!
पाण्डेय जी, सर्दी तो यहाँ झेल ली जाती है लेकिन उसके बाद जम चुकी बरफ़ पर पैदल चलना मुश्किल और खतरनाक भी होता है, कल ही एक कन्या खड़े खड़े ही फ़िसल गयी थी सड़क पर।
फोटो बढ़िया हं यदि जगहों के नाम और उनके बारे में कुछ बताते तो और अच्छा रहता ।
घुघूती बासूती
अति सुन्दर!! थंडा थंडा ! कूल कूल!!!
@ Mired Mirage आपको घुघूती कहते अजीब लगता है (मनुष्य को चिड़िया के नाम से सम्बोधित करना), ये चारों तस्वीरें कामेरिनो, इटली की हैं, इस के बारे मे अधिक जानकारी यहाँ पर उपलब्ध है।
रचना जी, धन्यवाद