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हिन्दी ब्लॉग – by RC Mishra

Confocal micrograph of cerebellum from transge...

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इस साल (२००८) का नोबल पुरस्कार, तीन वैज्ञानिकों को जी एफ़ पी यानी हरी फ़्लुओरेसेन्ट प्रोटीन की खोज और विकास के लिये प्रदान किया गया। ये समाचार मिलते ही मुझे जेनोवा (इटली) के विशाल एक्वेरियम मे देखी गयी जेली फ़िश के जीवन चक्र की विभिन्न अवस्थायें याद आ गयीं।

2008 Nobel Prize in Chemistry

The Nobel Prize in Chemistry goes to Osamu Shimomura, Martin Chalfie and Roger Y. Tsien “for the discovery and development of the green fluorescent protein, GFP”. Read More

ये प्रोटीन २३८ अमीनो अम्लों से मिलकर बनी होती है और नीला प्रकाश पड़ने पर हरा प्रकाश उत्सर्जित करती है।  वैसे वास्तव मे जेली फ़िश  से नीली आभा निकलती प्रतीत होती है जो कि जी एफ़ की एक सहायक प्रोटीन एक्वोरिन के कैल्शियम आयनों के साथ अनुक्रिया से उतपन्न होती है। एक बार जेली फ़िश से शुद्ध जी एफ़ पी प्रोटीन प्राप्त कर लेने के बाद इस विशेष प्रोटीन के संश्लेषण के लिये जिम्मेदार जीन की खोज शुरू हो गयी और जल्दी ही पूरी कर  ली गयी।

अब चूंकि जीन ट्रान्सफ़र की तकनीक उपलब्ध है ही, तो इसको तरह तरह के जीवों मे डाल के प्रयोग किये गये।

Jelly Fish

ऐसा ही एक रोचक प्रयोग फ़्रांसीसी वैज्ञानिक Louis-Marie Houdebine ने अपने एक कलाकार मित्र Eduardo Kac की सलाह पर खरगोश पर किया और अल्बा नाम के ऐसे खरगोश को अस्तित्व मे लाये जिसके बारे मे कहा गया कि वो नीले प्रकाश के नीचे पूरी तरह हरित आभा युक्त दिखायी देता है।

वैज्ञानिक समुदाय मे इस प्रयोग की ऐसी सफ़लता और अल्बा के अस्तित्त्व के बारे मे गम्भीर सवाल उठाये गये और सन २००२ मे एक अमरीकी पत्रकार ने उस शोध संस्थान से रिपोर्ट दी कि अल्बा का देहान्त हो गया। सामान्यतया एक खरगोश की आयु १२ वर्ष होती है।

इसके बावजूद इस प्रोटीन का जीवविज्ञान से सम्बन्धित शोध कार्यों मे उपयोगिता और योगदान बढ़ा है। इस बीच इसके बहुत से नये डेरिवेटिव भी बनाये गये और उनको अलग अलग प्रकार की महत्त्वपूर्ण प्रोटींस के साथ संयुक्त किया गया। इन हाइब्रिड प्रोटीन का उपयोग कोशिकाओं और ऊतकों मे उनके परिसंचरण और विभिन्न जैव रासायनिक परिस्थितियो मे व्यवहार के अध्ययन  मे किया जा रहा है। ऐसी प्रोटीन्स को कोशिकाओं के अन्दर फ़्लुओरेसेन्ट माइक्रोस्कोपी से मॉनिटर किया जाता है।

जब मै जेनोवा के एक्वेरियम मे गया था तो वहाँ, जेलीफ़िश की गतिविधियों का एक विडियो भी बनाया था जो अभी नही मिल रहा है, इसलिये प्रस्तुत है यू ट्यूब से, जी एफ़ प्रोटीन की खान जेली फ़िश का एक रोचक और और मनोरंजक विडियो।

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2 thoughts on “जेली फ़िश की हरी प्रोटीन और नोबेल पुरस्कार

  1. बहुत अच्छा लिखा है मिश्र जी आपने और बहुत तफसील से पूरी प्रक्रिया को आपने समझाया है -अब नीली रोशनी का रहस्य खुल गया है इसके व्यावसायिक प्रयोग शरू हो सकेंगे !

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