आज यहाँ बिना मौसम की बरसात होने लगी, बहुत दिनों की गरमी के बाद ये बारिश का सुखद एहसास था। पार्किन्ग लॉट के बीच मे एक जगाह थोड़ा सा पानी भर जाने से एक बहुत छोटी से झील जैसी बन गयी। फिर याद आये बचपन के दिन तो नाव बनायी गयी, तत्पश्चात बारिश के पानी मे तैरा दी गयी।
कोई नौका चलाने वाला नही था, हम जब छोटे थे तब कुछ बच्चे उसमे एक चींटा डाल दिया करते थे
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