धुरविरोधी, भावुकता और तकनीक।

चिट्ठा चर्चा पर एक अर्जेन्ट पोस्ट डाली गयी है।

और यहॉं हम सब ने मिलकर धुरविरोधी की हत्‍या कर दी- जब विरोध का दम घुटता है तो धुरविरोधी को मरना ही पड़ता है।

उक्त पोस्ट पर मैने अपने टिप्पणी कर दी है, जिसका उत्तर भी मिल गया है। भावनाओं को एक हथियार के रूप मे इस्तेमाल किया जा रहा है, तकनीक के साथ मिलाकर, इस भावुक बाढ़ मे शुक्ल जी का लैप-टॉप भी भीग चुका है :).

पहले धुरविरोधी ने कहा कि मुझे नारद से हट जाना चाहिये, ये लिखा और तकनीक के सहारे टिप्पणियाँ बन्द कर दीं, फ़िर एक और पोस्ट लिखी। शायद नारद को मेल लिख कर फ़ीड हटाने की सिफ़ारिश और साथ ही भावुक होकर चिट्ठा मिटाने की भी बात कह दी। फ़िर से तकनीक का सहारा लिया गया और उस प्रयोग को चिट्ठा-चर्चा पर आत्म-हत्या कहा गया,

…………… चिट्ठे का पासवर्ड सिर्फ धुरविरोधी के पास था इसलिए वे खुद ही उसे मिटा सकते थे इसलिए इस अंत की जिम्‍मेदारी नारद, जितेंद्र या आपकी हमारी नहीं है- यह आत्‍महत्‍या है इसे हत्‍या कहना तकनीकी तौर पर गलत है। फिर वे उन दिक्‍कतों के विषय में बताएंगे जो किसी चिट्ठे के खुद हट जाने से एग्रीगेशन में होती हैं हालांकि धुरविरोधी को भी चिंता थी कि कहीं उनके चिट्ठे का शव जितेंद्र के नारद की एग्रीगेशन मिल में दिक्‍कतें पैदा न करे और इसके उपाय भी उन्‍होंने किए थे……………….

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बड़े नेक इन्सान थे हैं, भई।

नीलिमा जी ने चिट्ठाचर्चा पर लिखा है,

और हां मसिजीवी जी धुरविरोधी के जाने को आप ऎसे देखो कि वो आएगा फिर नई दस्तक देगा नए घोरविरोधी तेवरों के साथ क्योंकि विवश कर देगा उसे उसका यही तेवर क्योंकि ……दुनिया हर जगह एक सी है ! कहां जाएगा एक विरोधी मन आखिर विरोध भी जीवन का एक जरूरी शेड है ! पर बस अब बहुत हुआ आगे बढो भी ….

आप भी देख सकते हैं धुरविरोधी आत्म हत्या (हत्या) करके भी अज़र-अमर है, पूरी रौनक के साथ वर्डप्रेस पर मौजूद है, तकनीक के सहारे। वहाँ पर आपको बताया जाता है कि

Easy, tiger. This is a 404 page.

हमने पहले भी कहा था, ब्लॉग डिलीट करना या पोस्टों को मिटाना दुर्भाग्य पूर्ण निर्णय होगा। जैसा कि ऊपर नीलिमा जी ने कहा है. तकनीक के सहारे धुरविरोधी फ़िर आयेगा, अपनी सारी पोस्ट और उन पर टिप्प्णियों के साथ, वैसे तो उसने अपना घर ध्वस्त नही किया है, इसलिये उसी घर मे भी आ सकता या किसी नये घर में भी।

ये है तकनीक के सहारे धुरविरोधी की भावुकता। है न भावुक तकनीक :).

10 Comments

  1. अनूप शुक्ला June 17, 2007 Reply
  2. notepad June 17, 2007 Reply
  3. RC Mishra June 17, 2007 Reply
  4. Sagar Chand Nahar June 17, 2007 Reply
  5. RC Mishra June 17, 2007 Reply
  6. masijeevi June 17, 2007 Reply
  7. mahashakti June 18, 2007 Reply
  8. RC Mishra June 18, 2007 Reply
  9. अनुराग भारती June 20, 2007 Reply
  10. RC Mishra June 20, 2007 Reply

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