डॉ. सरताज तबस्सुम अलीगढ़ मुस्लिम विश्विद्यालय में रसायन शास्त्र के युवा प्रोफ़ेसर हैं। अक्टूबर २००५ से दिसम्बर २००५ तक प्रो. साहब UNICAM (University of Camerino, Camerino, Italy) मे बतौर Visiting Scientist रहे थे। इस दौरान हमने काफ़ी समय साथ साथ बिताया और इटली के प्रमुख नगरों की भी यात्रा की, वेनिस यात्रा का प्रो. सरताज द्वारा दिया गया विवरण आपने पढा़ होगा।
समय कट रहा था, उन दिनों कामेरिनो मे हिन्दी/उर्दू बोलने-समझने वाले हम केवल तीन लोग थे, मेरे अलावा प्रो. साहब और शकील हुसैन (लाहौर, पाकिस्तान)। शकील से पहली मुलाकात भी बहुत रोचक थी।
अक्सर लैब से वापस आकर हम लोग मेरे या उनके कमरे पर इकट्ठा होते तो साथ-साथ खाना-पीना होता और देश दुनिया की बातें तथा किस्से कहानियाँ भी।
ऐसी ही एक शाम थी १८ दिसम्बर २००५ की, जो ‘शाम-ए-गज़ल‘ बन गयी।
Download MP3 1.88 MB
Download .AMR 108 KB
सुनने के लिये Play Button पर Click कीजिये या Download MP3 पर right click करके Save Target (link) As चुनिये और फ़िर किसी Media Player मे खोलिये।
|
मजा आया मिश्रा जी आपके मित्र की गज़ल सुनकर. और भी हों तो सुनवाईये. उनको हमारी दाद पहुँचायें.
बडी अच्छी आवाज मे अच्छी गज़ल है!
वाह! पंडित!
परदेश में अच्छी महफ़िल जमाई आपने .
good to listen this gr8 Ghazal…
बहुत खूब