और बेल्जियम कैसा है? How’s Belgium ‍& ‘Studio’

बेल्जियम मे रहते हुये ५० दिन होने वाले हैं, ये अलग बात है कि अभी यहाँ का निवास पत्र नही मिला। जब भी दोस्तों से बात होती है, पूछते हैं..

कैसा लग रहा है?

सेटल हो गये?

इन्डियन्स हैं? …..कितने है?

अच्छा इटली के कम्पेरिजन मे कैसा है?

कहाँ कहाँ घूमे ..आदि आदि।

Map image

अब ऐसे प्रश्नों का क्या होते ही रहेंगे, फ़िलहाल तो एक स्टूडियो मिल गया है रहने को। आप लोग सोचेंगे कि स्टूडियो भी कोई रहने की जगह है?

और कहीं हो न हो लेकिन बेल्जियम मे तो हम जैसे लोगों के लिये सबसे मुनासिब जगह यही है। जब यहाँ आने की तयारी हो रही थी तो सोचा नही था स्टूडियो के बारे मे। लगता था पहले की तरह विश्वविद्यालय आवास मे जगह मिल जायेगी। ये तो बाद मे पता चला कि उसके लिये ५-६ महीने पहले से ही बता देना होता है।

और इस मामले मे काफ़ी लापरवाही हो गयी। २७ जून को दिल्ली से चलने से पहले मैने ग्रूट बिगाइनहाफ़ मे जगह के लिये निवेदन किया और २८ की सुबह की कुवैत अयर वेज की फ़्लाइट से शाम तक रोम के लियोनार्दो दा विन्ची एयरपोर्ट से होते हुये कामेरिनो पहुंच गये।

Bachelor's Party in Snow

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जब मै भारत मे था उस बीच यूनिकैम इन्डियन सोसाइटी (Unicam Indian Society) के सदस्यों की संख्या लगभग दुगुनी हो गयी। महाराष्ट्र, तमिलनाडु, और बंगाल से कुछ और लड़के-लड़कियां पी एच डी करने आ गये थे। जैसा कि पहले सब लोग एक साथ हफ़्ते मे एक दिन पार्टी करते थे, २८ जून को भी ’उत्पल और सुरंजना’ ने सबको डिनर के लिये बुलाया था।

Suranjana & Utpal

मेरा धूलदेव के अपार्ट्मेन्ट मे रुकने का प्रोग्राम था, जहां से २९ की शाम को रोम जाना था, ३० की सुबह ब्रुसेल्स की फ़्लाइट थी। अमित गुप्ता जी शायद तब तक हंगरी मे बुदा और पेस्त के बीच टहल रहे होंगे। उन्होने रोम देखने की योजना कई महीने पहले बनायी थी, अभी शायद मलेशिया घूमने की सोच रहे हैं।

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९ बजे तक फ़ोरेस्तेरिया उनिवर्सितारिया, विकोलो फ़ियोरेन्ज़ुओला (university guest house) के एक नंबर कमरे मे सब लोग आने लगे, मै पहले के और कुछ नये आये लोगों से भी मिला। इस बार भी मै अकेला ही शाकाहारी था तो उत्पल ने कुछ विशेष बनाया मेरे लिये, इसके लिये उत्पल और सुरन्जना को अलग से धन्यवाद। कुछ देर मे सब लोग खा-पीकर निकल लिये।

बाद मे मैने महसूस किया कि संख्या बढ़ जाने से गुटबाजी शुरू हो जाती है और सबका एक साथ रहना या किसी मुद्दे पर सहमत होना मुश्किल होने लगता है। ये भी हुआ कि सभी लड़कियां दूसरे कमरे मे जाकर बैठ गयी थी। कुल मिलाकर ये कि पहले जैसा माहौल नही बन पाया पार्टी वाला।

रात के, ११ बज रहे थे, मै धूलदेव के साथ लैब (Department of Chemical Sciences, University of Camerino) चला गया जो ५०-६० मीटर ही था वहां से।

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कई महीनों बाद लैब जाकर, वापस आकर रात को भोजन के बाद शान्त प्रकृति मे टहलते हुये बहुत अच्छा लग रहा था।

Camerino: Night

बात कहीं से शुरू हो कर कहीं और पहुंच गयी लगती है..इसलिये आ

4 Comments

  1. Anil Pusadkar August 18, 2008 Reply
  2. Udan Tashtari August 18, 2008 Reply
  3. Lavanyam - Antarman August 18, 2008 Reply
  4. Amit August 24, 2008 Reply

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