व्यक्तिगत आक्षेप कब तक?

कुछ लोग हिन्दी चिट्ठाकारी के स्तर को गिराने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं। यह बात साफ़ है कि नारद की कड़ी कार्रवाई के बावजूद भी लोग व्यक्तिगत आक्षेप करना बन्द नहीं कर रहे हैं। मसिजीवी जी ने लिखा –

जब धुरविरोधी ने हटने की घोषणा की तो “रा च मिश्राजी ने घूम घूमकर लोगों को मेल-ऊलकर” भी ये जताया कि भई ब्‍लॉग डिलीट नहीं हुआ है- हो जाए तो कहना।

पहली बात तो यह कि मैंने अपनी बात अपने चिट्ठे पर स्पष्ट लिखी, कहीं “घूम-घूम” कर उसे नहीं फैलाया। दूसरी बात यह कि आप इस तरह की भाषा का प्रयोग कर जो मदारीगामी अभिव्यंजना पैदा करना चाहते हैं, वह मात्र भाषा के असंयम और सार्वजनिक सम्प्रेषण में अमर्यादा को ही दर्शाती है। इस तरह की व्यक्तिसापेक्ष स्तरहीन बातें आपको शोभा नहीं देती हैं।

धन्यवाद।

8 Comments

  1. masijeevi June 27, 2007 Reply
  2. bhuvnesh June 27, 2007 Reply
  3. Anonymous June 27, 2007 Reply
  4. Anonymous June 27, 2007 Reply
  5. अमित June 27, 2007 Reply
  6. RC Mishra June 28, 2007 Reply
  7. संजय बेंगाणी June 28, 2007 Reply
  8. अजित October 4, 2007 Reply

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