पिछ्ली ३० जून को इटली होते हुये लेवेन, बेल्जियम पहुंचे। पहली बार खाड़ी से हो के जाने वाली फ़्लाइट ली थी यूरोप जाने के लिये। बहुत खराब अनुभव रहा :(।
इस बीच जब भारत मे थे तो ३१ मई को डॉ अरविन्द मिश्र जी से वाराणसी मे मुलाकात हुई थी। उसके बाद तो घर मे हम दोनो हिन्दी ब्लॉगरों को चिकेन पॉक्स हो गया था, आप लोगों ने सौम्या की पोस्ट पढ़ी होगी। बाद मे जाने की तयारी मे व्यस्त हो गये और प्रमेन्द्र से मिलना रह गया। शुक्रवार को प्रमेन्द्र ने बताया कि ब्लॉगिन्ग और कम्प्यूटर से दूर रहकर उन्होने अच्छी उप्लब्धियाँ हासिल की हैं, इसके लिये उनको मेरी ओर से बहुत शुभकामनायें।
पाण्डेय जी और शुक्ल जी से मिलना की योजना थी लेकिन चिकेन पॉक्स ने सब चौपट कर दिया, अनूप जी से तो अक्सर बात हो जाती है, लेकिन पाण्डेय जी ने जो सुझाव दिया था कानपुर मे मिलने का उसका शायद मै ज़वाब नही दे पाया था इसके लिये उनसे क्षमा। चौधरी जी से भारत आते ही फोन नम्बर का आदान-प्रदान हो गया था, पर तब से उनकी भी कोई खबर नही है।
बाकी अभी २-४ दिन और गेस्ट हाउस मे रहना है, जब तक स्थायी निवास का प्रबन्ध नही होता।
उम्मीद है शोध के साथ चिट्ठाकारी भी चलती रहेगी, फ़िलहाल तो आप लोग लेवेन की मेरी पहली शाम वाली चित्रमय प्रविष्टि का आनन्द उठाइये इस लिन्क पर क्लिक करके ।
हम इत्ते क्षमाशील् नहीं हैं कि क्षमा कर् दें। चिकन पाक्स को सजा मिलेगी। बाकी अगली बार् मिलने पर् हिसाब् बराबर् किया जायेगा। फोटो धांसू हैं।
सुन्दर जगह दिख रही है. एन्जॉय करिये. मिले तो खैर आप हमसे भी नहीं. मगर बात होना फोन पर एक सुखद अनुभव रहा.
अनेकों शुभकामनाऐं आपको.
आये और आ कर चले गये। वेब होस्टिंग और टेम्प्लेट से जुड़ी कई बातें पूछनी बच ही गयीं। अगली बार मिला जाये।
भइया आपकी शुभकामनाओं का धन्यवाद,
जो कुछ भी मैने सफलता हासिल की है उसमें आपका तथा अन्य वरिष्ठ ब्लागरों का महत्वपूर्ण स्थान रहा है, न आपसे मिलना होता न ही आपके व्यंगात्मक स्नेहपूर्ण तानों से दिल को चोट पहुँचती, और न ही मुझे इस ब्लाग स्लाँग के अतिरिक्त अन्य क्षेत्र की शुध लेने की फुरसत मिलती और न ही मै अपने शिक्षण कैरियर के सर्वश्रेष्ठ मुकाम पर पहुँच पाता। अभी तो आगाज़ किया है अभी बहुत कुछ करना बाकी है। पूर्ण विश्वास दिलाता हूँ किअप सभी वरिष्ठों का मार्गदर्शन पाकर आपका यह अनुज आपको नित खुशखबरियॉं सुनाता रहेगा 🙂
आपकों आपकी नयी कर्म भूर्मि में अपार सफलता मिले ऐसी मेरी शुभकामना है। आपने काम से समय निकाल कर फोटो तो दिखायेगे ही साथ ही साथ कुछ पढ़ायेगे भी। आपसे मिलने की इच्छा थी न मिल सका, इसका कोई मलाल नही है क्योकि आप मुझसे दूर कहाँ है ? 🙂
आनंद लीजिये अच्छी जगह का !
शुक्ल जी, बिल्कुल सही कहा आपने।
समीर जी हम तो आपको लखनऊ कानपुर इलाहाबाद सब जगह ढूंढते रही आप कहीं नज़र ही न आये 🙂
पाण्डेय जी, अगली बार अवश्य भेंट होगी।
सही कहा प्रमेन्द्र, मेहनत का फल अवश्य मिलता है, चाहे देर से ही मिले, सफलता के लिये शुभकामनायें।
धन्यवाद ओझा भाई।