कि फ़िर आजगमे अश्कबहाये हैं।आँखों से छलके हैं,पैमाने मे उतर आये हैं। सिसकती है आहदर्द मचलता हैआब-ए-अश्क है केपैमाने से …
Tag: Poem
Image by TimboDon via Flickr सु श्री दिव्या बाजपेयी, कानपुर के प्रतिष्ठित संस्थान हारकोर्ट बटलर टेक्नोलॉजी इन्स्टिट्यूट से शोध कर …
तुम जिनको देखते रहते हो, वो ख्वाब सिरहाने रखती हूँ तुमसे मिलने जुलने के, मै कितने बहाने रखती हूँ मै …