अधूरी गज़ल…
Poem
कि फ़िर आजगमे अश्कबहाये हैं।आँखों से छलके हैं,पैमाने मे उतर आये हैं। सिसकती है आहदर्द मचलता हैआब-ए-अश्क है केपैमाने से …